₹1.84 Lakh Crore Unclaimed Assets wapas: Nirmala Sitharaman ne launch kiya special campaign
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने “अपनों की धनराशि – अपने नाम” अभियान की शुरुआत की है, जिसका उद्देश्य लोगों और परिवारों की वर्षों से अटकी हुई वित्तीय संपत्तियों को वापस कराना है।

सरकार ने बताया कि देशभर में करीब ₹1.84 लाख करोड़ की राशि अलग-अलग वित्तीय संस्थानों, बीमा कंपनियों, म्यूचुअल फंड्स और बैंकों में बिना दावे के पड़ी हुई है। यह रकम असल में उन व्यक्तियों और परिवारों की है, जिन्होंने समय पर दावा नहीं किया या जानकारी के अभाव में अपनी संपत्ति तक पहुंच नहीं बना पाए।इस अभियान के जरिए सरकार लोगों को जागरूक करेगी और उन्हें आसान डिजिटल प्रक्रिया उपलब्ध कराएगी, ताकि वे अपनी बकाया संपत्ति जल्दी और सरलता से प्राप्त कर सकें।सीतारमण ने कहा कि यह पैसा लोगों और परिवारों का है, और इसे वापस उनके हाथों तक पहुंचाना ही सरकार की प्राथमिकता है।
यह तीन महीने का कार्यक्रम जागरूकता बढ़ाने पर भी केंद्रित है। निर्मला सीतारमण ने कहा, “ये बिना दावे की राशियाँ सरकार की संपत्ति नहीं हैं, बल्कि व्यक्तियों और परिवारों की हैं।” उन्होंने आगे कहा, “दशकों से लोग यह मांग करते आ रहे थे कि बैंकों, आरबीआई या इन्वेस्टर एजुकेशन एंड प्रोटेक्शन फंड (IEPF) में पड़ी बिना दावे की राशि वापस मिलनी चाहिए। यह उनका पैसा है।
उन्होंने कहा कि ऐसी धनराशि अक्सर अधूरे दस्तावेज़, भूली हुई पॉलिसियाँ या जागरूकता की कमी के कारण अटकी रह जाती है। सीतारमण ने इसे समझाते हुए कहा, “यह बिल्कुल ऐसे है जैसे पका हुआ फल हाथ की पहुंच में लटका हो, लेकिन उन लोगों के हाथों में न गिरे जिनका वह असल में हक है।
यह अभियान तीन स्तंभों पर आधारित है –
• जागरूकता, पहुँच और कार्यवाही।जागरूकता (Awareness): लोगों को बिना दावे की राशि के बारे में जानकारी देना।
• पहुँच (Access): आरबीआई के UDGAM पोर्टल के माध्यम से लोगों को उनकी राशि तक पहुँच दिलाना।
• कार्यवाही (Action): जहाँ अधिकारी छोटे-से-छोटे सुराग पर भी काम करके दावेदारों की मदद करेंगे, ताकि वे अपनी राशि वापस पा सकें।
👉 मुख्य बिंदु:
₹1.84 लाख करोड़ की बिना दावे की संपत्ति।बैंकों, बीमा कंपनियों, म्यूचुअल फंड्स आदि में फंसा धन।डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म के जरिए आसानी से क्लेम करने की सुविधा।अभियान का नाम: अपनों की धनराशि – अपने नाम।
1) सबसे पहले पता लगाएँ कहाँ-कहाँ पैसा फंसा हो सकता हैबैंक खाते (dormant / inoperative accounts)बीमा पॉलिसियाँ (lapsed / unpaid)म्यूचुअल फंड्स और डिविडेंड्सशेयर/DEMAT में अटके रकमसरकार या आरबीआई में पड़े अदेय (eg. refunds)Investor Education and Protection Fund (IEPF) में ट्रांसफर हुए शेयर/डिविडेंड
2) ऑनलाइन प्राथमिक जाँचRBI के UDGAM पोर्टल पर नाम/पैन/आधार से खोज करें (जहाँ उपलब्ध हो)।म्यूचुअल फंड के लिए registrar (CAMS / KFinTech आदि) की साइट पर इकाइयां चेक करें।IEPF पोर्टल पर नाम या DP/folio नंबर से देखिए।(नोट: लिंक/पोर्टल नाम बदल सकते हैं — अगर चाहें तो मैं आपके लिए सीधे relevant links द्रुत रूप से दे दूँ।)
3) जरूरी दस्तावेज पहले से तैयार रखेंपहचान प्रमाण (Aadhaar, PAN, Voter ID, Passport)पता प्रमाण (Aadhaar, बिजली बिल, राशन कार्ड)बैंक पासबुक / स्टेटमेंट या खाते का नंबर (अगर है)पॉलिसी / फंड / folio / DP/Client id जैसी कोई संख्या (मिलती हो तो)जन्म/मृत्यु प्रमाण / नाता प्रमाण (यदि दावेदार वारिस है)पासपोर्ट साइज फोटो, साइन-पत्रित फॉर्म या affidavit (किसी बैंक/कंपनी के अनुसार)
4) संबंधित संस्था से संपर्क करें — ऑफलाइन + ऑनलाइन दोनोंबैंक: कस्टमर केयर/नज़दीकी शाखा में जाकर dormant account का क्लेम फॉर्म लें; बैंक खाते की KYC अपडेट करवाएँ।बीमा कंपनी: कंपनी के क्लेम/ग्रिवन्स पोर्टल पर जाएँ या नजदीकी एजेन्ट से संपर्क करें; पॉलिसी डिटेल दें।म्यूचुअल फंड / Registrar: folio/folio-less खोज कर claimant request फ़ाइल करें।IEPF (यदि पैसा वहाँ गया हो): IEPF claim form भरकर आवश्यक प्रमाण पत्र लगाकर भेजें।आरबीआई / अन्य: अगर RBI/UgdAM पर दिखे तो निर्देश अनुसार claim प्रक्रिया पूरी करें।
5) अगर दावेदार मर चुके हैं (वारिस/Legal heir)मृत्यु प्रमाण-पत्र, नाता प्रमाण (ration card, passport, school records), और कभी-कभी succession certificate या probate की आवश्यकता होगी। बैंक/कंपनी से पहले बताएँ कि आप legal heir के रूप में apply कर रहे हैं — वे निर्देश देंगे।
6) अधिकारियों से follow-up और रिकॉर्ड रखेंहर communication (ईमेल / पत्र / SMS) की copy रखें।आवेदन संख्या/आरएफआई नंबर नोट करें।1–2 सप्ताह के बाद follow-up करें अगर कोई रिप्लाई नहीं मिला।
7) अगर मामला उलझा हो या संस्थान नकारात्मक प्रतिक्रिया देबैंक/कंपनी की grievance/ombudsman/IRDAI/NSE/BSE शिकायत प्रक्रिया का use करें।IEPF के मामले में उनके grievance mechanism का पालन करें।आख़िरी उपाय: consumer court या legal सलाह (बड़ी राशियों के लिए वकील से संपर्क करें)।