RBI Issues New Loan EMI Guidelines for Financially Stressed Borrowers
भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने हाल ही में नए दिशा-निर्देश जारी किए हैं, जिनका उद्देश्य आर्थिक रूप से तनावग्रस्त उधारकर्ताओं पर बोझ को कम करना है। यह कदम ऐसे समय पर आया है जब कई व्यक्ति और व्यवसाय महंगाई, वैश्विक अनिश्चितताओं और महामारी के बाद के प्रभावों जैसी चुनौतियों से जूझ रहे हैं।इन दिशा-निर्देशों का मुख्य फोकस लोन की ईएमआई (Equated Monthly Installments) पर है, ताकि उन उधारकर्ताओं को राहत और लचीलापन दिया जा सके जो समय पर भुगतान करने में कठिनाई महसूस कर रहे हैं।
आरबीआई के इन नए प्रावधानों में उधारकर्ताओं को समय पर सहायता उपलब्ध कराने और बैंकों व ऋणदाताओं द्वारा शुरुआती स्तर पर ही वित्तीय संकट की पहचान करने पर जोर दिया गया है। यह पहल उधारकर्ताओं के अनुकूल नीतियों की ओर एक महत्वपूर्ण बदलाव को दर्शाती है, जो समग्र आर्थिक स्थिरता बनाए रखने के लिए बेहद जरूरी है।
1. तैरते (Floating) दरों में लचीलापन
अब, फैंसेबल रिटेल लोन और MSME लोन (जो बाहरी बेंचमार्क — जैसे रेपो रेट — से जुड़े हैं) पर बैंक उस स्प्रेड (अतिरिक्त ब्याज) को तीन वर्ष की लॉक-इन अवधि से पहले घटा सकते हैं। पहले, बैंक को तीन साल इंतजार करना पड़ता था। इसके साथ ही, बैंक यह विकल्प दे सकते हैं कि ग्राहक जब दर रीसेट (reset) हो, तब फ्लोटिंग दर से फिक्स्ड दर में स्विच कर सकें। (यानी, ग्राहक को स्थिर दर चुनने का विकल्प होगा)
2. देर से EMI पर पेनल्टी हटाना
15 जून 2025 से, RBI ने निर्देश दिए हैं कि ऋणदाताओं (बैंकों / NBFCs) को EMI भुगतान में देरी पर पेनल्टी ब्याज (late payment penal interest) नहीं लगानी चाहिए। इसका मतलब यह है कि यदि आप समय पर EMI नहीं चुका पाते, तो अब आपको अतिरिक्त पेनल्टी शुल्क नहीं देना होगा — हालांकि, नियमों के अनुसार ब्याज औरऋणशेष अभी भी लागू होगा।
3. सोने और चांदी के ऋण (Gold / Silver Loans) के नियमों में बदलावअब उन व्यवसायों को भी यह सुविधा मिलेगी जो सोने को कच्चे माल के रूप में इस्तेमाल करते हैं (ज्वेलरी निर्माण आदि), न केवल ज्वेलर्स को। इससे उन उद्योगों को working capital लेने का अवसर बढ़ेगा। शहरी सहकारी बैंकों (Urban Co-operative Banks) को भी सोने/चांदी आधारित ऋण देने की अनुमति दी गई है, विशेष रूप से Tier-3 और Tier-4 शहरों में। हालांकि, नए दिशानिर्देशों के अनुसार, सोने या चांदी को गारंटी (collateral) के रूप में स्वीकार करने के लिए शुद्धता, मूल्यांकन, स्वामित्व प्रमाण आदि मानदंड सख्त होंगे।
4. नए दिशा-निर्देशों की शुरुआत और ड्राफ्ट प्रस्ताव1 अक्टूबर 2025 से, कुछ अनिवार्य दिशानिर्देश प्रभावी हो गए हैं, जैसे कि floating rate advances (उधार) पर बैंक अधिक लचीलापन अपनाने के लिए सक्षम होंगे। साथ ही, RBI ने चार अन्य विषयों पर ड्राफ्ट दिशा-निर्देश जनता से सुझाव/टिप्पणी के लिए जारी किए हैं। इनमें शामिल हैं:
• Gold Metal Loans (GML) के नियमों का पुनरावलोकन (जैसे पुनर्भुगतान अवधि बढ़ाना)
• बड़े exposures (Large Exposures Framework) और इंट्रा-ग्रुप लेनदेन (Intragroup Transactions) से जुड़े नियम
• क्रेडिट सूचना रिपोर्टिंग (Credit Information Reporting) — जैसे कि डेटा भेजने की आवृत्ति को पखवाड़े से सप्ताह में बदलना
• अन्य बैंकिंग दिशा-निर्देशों का समायोजन इन ड्राफ्ट दिशा-निर्देशों पर सुझाव देने की अंतिम तिथि 20 अक्टूबर 2025 तय की गई है।
5. उदेश्य और प्रभावये
बदलाव उधारकर्ताओं को अधिक सहूलियत और राहत देने का उद्देश्य रखते हैं — विशेषकर उन लोगों को जो अस्थायी रूप से नकदी संकट से गुजर रहे हों।
बैंक और ऋणदाता अब जल्दी चेतना संकेतों (early warning signals) पहचान कर समय रहते पुनर्गठन (restructuring) या संशोधन (modification) की पेशकश कर सकेंगे।
इससे उन मामलों को NPA (Non-Performing Asset) बनने से पहले ही नियंत्रित किया जा सकता है।
साथ ही, नए दिशानिर्देश बैंकों को भी अधिक लचीलापन देंगे ताकि वे अपनाने योग्य ऋण नीति बना सकें, बशर्ते वे अपनी संपत्ति गुणवत्ता (asset quality) और जोखिम नियंत्रण (risk management) बनाए रखें।
सोने-चांदी के ऋणों में सुधार से रियल सेक्टर (उद्योग, ज्वेलरी, मैन्युफैक्चरिंग) को भी लाभ हो सकता है
उन्हें कच्चे माल को गारंटी में रखकर working capital लेने की सुविधा।